Thursday, August 30, 2012

तू घणी चौधरण हो रही सै ?

एक बै एक बाबा रोटी-चून मांगण लाग रहया था किसै गाम में । एक ताई उसतैं बोल्ली - बाबा, म्हारे घर तैं ले आया किमैं ?

बाबा बोल्या - ना बेटी, तेरी बहू नाट-ग्यी ।

ताई कै ऊठ्या छो - आंछ्या, वा न्यूं क्यूकर नाट-ग्यी ? चल बाबा तू मेरी गैल चाल, मैं देखूंगी वा क्यूकर नाट-ग्यी !

बाबा हो लिया उसकी गैल । घरां जा-कै ताई नै बहू बुलाई रूका दे-कै । फिर बोल्ली - आंहे बहू ! तू कुछ देण तैं क्यूकर नाट-ग्यी बाबा नैं, तू घणी चौधरण हो रही सै ? नाटणा होगा तै मैं नाटूंगी ! चल बाबा आग्गे नै !!

Sunday, August 26, 2012

मै बावलीतरेड , गधे का बच्चा , उल्लू का पट्ठा

एक बै कालू एक ताई नै घरां छोडण गया । ताई बोली - आरै बेटा , इतनी रात नै कित जागा ।
आडै सो जा बिटटू आले कमरे मै ।
बल्या ना ताई , मै तै साल मे ए सो जांगा
तडके एक सुथरी सी छोरी चा ले कै आयी
बल्या तू कून ??
न्यू बोली मै बिटटू , तू कून
बल्या - मै बावलीतरेड , गधे का बच्चा , उल्लू का पट्ठा ।।


Courtesy: Jai Choudhary

Tuesday, August 21, 2012

apna raldu

ek baar apna raldu pooja kr rya tha uski pooja te raaji ho k bhagwan prakat ho gya...
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or bolya..
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" var mango vats"

raldu bolya - bhagwan jisa tu manne laa rya hai mai usa naa hu...

manne te "Vaddu chaiye"